Dhami Firing Tragedy (धामी गोली कांड)

By | November 6, 2016

धामी कांड (Dhami Firing Tragedy):

पहाड़ी रियासतों के जन संघर्ष के मार्ग में धामी गोली कांड एक काला अध्याय है ।

धामी एक छोटी सी रियासत थी जो राणा शासन के अधीन थी ।

धामी के लोगों की प्रमुख मांगें थी।

१) बेगार प्रथा की समाप्ति,

२) कर में 50 प्रतिशत की कमी,

३) रियासती प्रजामण्डल धामी की पुनः स्थापना करना ।

इसी के चलते 1937 में एक धार्मिक सुधार संस्था ‘प्रेम प्रचारनी सभा’ का गठन किया गया था । इसे 13 जुलाई 1939 में ‘धामी रियासती प्रजा मंडल’ में बदल दिया गया । इसके मुखिया श्री सीता राम थे, इन्होने ही धामी के राणा के समक्ष ऊपर लिखित तीन मांगें रखी थी । इन्ही मांगों को मनवाने व अधिकार प्राप्ति की लालसा के मद्देनजर 16 जुलाई 1939 को भागमल सौठा की अध्यक्षता में 1500 व्यक्तियों का एक समूह धामी की तरफ चल पड़ा । बीच में पड़ने वाले मार्ग घणाहट्टी में भागमल सौठा को गिरफ्तार कर लिया गया ।

उग्र भीड़ में रोष उत्पन हो गया और क्रन्तिकारी पुलिस की मार झेलते हुए भी धामी के राणा की तरफ दौड़े । राणा ने उग्र भीड़ को देख घबरा कर गोली चलाने का आदेश दे दिया, जो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में गोली बारी की प्रथम घटना थी, इस गोली कांड में दो व्यक्तियों उमादत्त व दुर्गा दास की मृत्यु हो गयी और बहुत से लोग घायल हो गए । इसके विरोध में लोगों ने महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिख कर स्थिति से अवगत करवाया ।

एक दल सीता राम, भास्कर नन्द और राज कुमारी अमृत कौर की अगुवाई में गांधी जी से भी मिला तथा स्थिति की पूर्ण जानकारी से राष्ट्रीय नेताओं का ध्यान पहाड़ी राज्य की तरफ आकर्षित किया । इस परिप्रेक्ष्य में जवाहरलाल नेहरू ने शांति स्वरुप धवन को घटना स्थल पर जाकर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए भेजा । शांति स्वरुप धवन धामी के राणा व लोगों से मिला । तत्पश्चात 30 जुलाई 1939 को एक नई कमेटी का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष लाला दूनी चंद बने । इसके अन्य दो सदस्य देव सुमन और शयम लाल खन्ना थे ।

इसमें तीन बातों पर रौशनी डाली गयी , जिसमे

१) गोली कांड की जाँच उच्च न्यायलय के जज से करवाई जाएगी,

२) जो इस गोली कांड में सम्मिलित थे, उन्हें सजा दी जाएगी, 

३) स्थानीय प्रशाशन में सुधार किया जायेगा ।

A Prem Pracharini Sabha, Dhami State was organized in 1937 and later converted to Dhami Rayasti Praja Mandal (DRPM) on 13th July 1939.

DRPM under the leadership of Sita Ram put forward three main demands. They were:

  • Abolition of Begar
  • Reduction in land revenue
  • Recognition of the Dhami Praja Mandal

The Rana rejected all demands and on 16th July, 1939, a delegation of 7 members headed by Bhag Mal Sautha proceeded towards Dhami to present the demands to Rana.

Bhag Mal Sautha was arrested at Ghanahatti and feared Rana ordered to fire on the people.

Two persons, Shri Uma Dutt, and Durga Das were killed and many were injured.

The public demanded an independent enquiry, and Pt. J.L. Nehru sent Shanti Swarup Dhawan to present on the spot report.

On 30th July 1939, a non-official enquiry committee was set up headed by Lala Duni Chand Ambalvi with two other members Shri Dev Suman and Shyam Lal Khanna. They presented a report to Pt. J.L. Nehru with the following suggestions:

  • A judge of the High Court should enquire the firing incident
  • Punishment to those involved in the unprovoked firing
  • Improvement in the civil administration

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3 thoughts on “Dhami Firing Tragedy (धामी गोली कांड)

  1. vinod sharma

    you are doing well.thanks to provide such precious material

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  2. Chirag Kaundal

    Provide its pdf if it is possible.. and pdf of every topic that you cover.?

    Reply

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