GS-1 (Governance in HP)
Topic: Administrative reforms for effective public service delivery in Himachal Pradesh.
हाल ही में प्रकाशित जनमंच के आंकड़ों के अनुसार जिला कुल्लू जनसमस्याओं के निपटान में सबसे अव्वल रहा है। जिले में अधिकारियों को प्राप्त कुल शिकायतों में 97वे प्रतिशत शिकायतों का समय रहते निवारण किया जा चुका है। वहीं पूरे प्रदेश भर में यह आंकड़ा 88% है।
जनमंच यानी आम लोगों का मंच। साधारण भाषा में कहें तो एक ऐसा विशेष मंच जहां जनसाधारण प्रधान हो और उन्हे बिना किसी भय और भेदभाव के अपना पक्ष रखने की पूर्ण स्वतंत्रता हो। इसी अवधारणा को हिमाचल सरकार द्वारा आगे बढ़ाते हुए जनसाधारण को उनकी समस्याओं के निपटान के लिए एक मंच उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा बर्ष 2018-19 के बजट मे जनमंच कार्यक्रम का उल्लेख किया गया था।
4 जून 2018 को राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की अध्यक्षता में प्रथम बार जनमंच कार्यक्रम का आयोजन किया गया और अब तक ऐसे 18 जनमंच कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है। इसमे 42 हजार के करीब जन शिकायतें प्राप्त हुई है जिनमें अधिकतर शिकायतों का समय रहते निपटारा किया जा चुका है।
जनमंच कार्यक्रम सरकार द्वारा जन हितैषी कार्यों को पूर्ण करने का एक मंच बनता जा रहा है और बाकी राज्य भी हिमाचल के इस कार्यक्रम से प्रेरित होकर इस तरह के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।जनमंच राज्य में सरकार और जनता के बीच संवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू और मजबूत लोकतंत्र का आधार बन गया है।लोकतंत्र यानी आम जन का शासन जिसमें शासन की अंतिम इकाई जनता होती है।
कुछ समय पहले तक राज्य में जनता के पास एक बार प्रतिनिधियों को चुनने लेने के बाद 5 साल तक इंतजार करने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं रहता था। लेकिन जनमंच ने लोगों को उनकी समस्याओं के समाधान हेतु एवं अधिकारियों की सुस्त कार्यप्रणाली के संबंध में अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से सीधा संवाद स्थापित करने में एक क्रांतिकारी भूमिका निभाई है और वास्तविक रूप में एक जन सामान्य के शासन को धरातल पर उतार कर राज्य में एक प्रत्यक्ष लोकतंत्र की शुरुआत की है।
जन मंच के माध्यम से सबसे अधिक शिकायतेंआईपीएच विभाग के संबंध में प्राप्त हुई है। तत्पश्चात लोक निर्माण विभाग, बिजली विभाग और राजस्व विभाग से जुड़ी हुई शिकायतें प्राप्त हुई है। इसके साथ-साथ एचआरटीसी और आयुर्वेद विभाग से संबंधित शिकायतें भी सरकार को अधिक प्राप्त हुई है। इससे एक बात स्पष्ट है कि शिकायतें उसी विभाग से ज्यादा प्राप्त हो रही है जिसका संबंध आम लोगों के जीवन से सबसे अधिक है। पानी जीवन की सबसे मूलभूत जरूरत है अतः आईपीएच विभाग से संबंधित शिकायतों की अधिकता होना स्वभाविक है।
लोक निर्माण विभाग से लोगों का सीधा जुड़ाव रहता है।एचआरटीसी से भी सबसे अधिक आम लोगों का ही वास्ता रहता है। अतः एचआरटीसी के संदर्भ में भी अधिक शिकायतें प्राप्त होना भी आम जन की समस्याओं का ही सरकार के सामने आना है। अगर यह कहा जाए कि जनमंच वास्तव में एक आम आदमी की समस्याओं के निपटान का एक एक प्लेटफार्म बनता जा रहा है तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी। लेकिन यह बात भी सर्वविदित है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसा ही जनमंच के साथ भी है। जनमंच में बढ़ता खर्च और वीआईपी कल्चर का होना इसे आमजन का मंच न दिखाकर इसे कुछ विशेष वर्गों के मंच के रूप में प्रदर्शित करता है।
जनमंच कार्यक्रम राज्य में निस्संदेह एक बहुत बड़ी प्रशासनिक सफलता हासिल कर सकता है यदि इसमें वीआईपी कल्चर का समापन किया जाए। इससे एक तरफ जंहा जनमंच के कार्यक्रमों में बढ़ते खर्च पर पाबंदी लगेगी, वहीं दूसरी तरफ जनसामान्य में नेताओं से पृथक्करण की भावना महसूस नहीं होगी एवं गांव में खेत पर काम करने वाला एक गरीब मजदूर भी, जो अन्यथा, वीआईपी संस्कृति के बीच खुद को हक्का-बक्का सा महसूस करता है, वह भी अपनी समस्याएं जन मंच के माध्यम से रख पाएगा। प्रशासनिक अधिकारीयों की जवाबदेही भी बिना उन्हे किसी राजनैतिक प्रताड़ना का शिकार बनाय सुनिश्चित की जा सकती है, आखिरकार प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा ही सरकारी नीतियों को लागू कर उन्हें जनसामान्य तक पहुंचाना होता है।
इसमें महिलाओं की भागीदारी के साथ-साथ समाज के वंचित व कमजोर वर्ग के लोग भी ज्यादा से ज्यादा भाग लेकर अपनी समस्याएं रख सकें यह भी आवश्यक है। राज्य में सूचना का अधिकार, राज्य लोक सेवा गारंटी अधिनियम जैसे जन हितैषी वह प्रशासन में पारदर्शिता लाने वाले कानून भी लागू है, लेकिन कुछ ही लोगों तक इन अधिकारों की पहुंच है। कारण, अशिक्षा गरीबी और जागरूकता का अभाव और यही सब बातें जनमंच पर भी लागू होती है। अतः इन सब पहलुओं पर भी सरकार को विचार करना चाहिए।
लेखक: लाभ सिंह
निरीक्षक सहकारी सभाएं, कुल्लू।
Email: [email protected]
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