लेखक: विनीत ठाकुर
लगभग 4500 फीट की ऊंचाई पर स्थित कमलागढ़ मंडी जिला की धर्मपुर तहसील में स्थित है I भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से कमलाह श्रेणी लगभग 90 डिग्री का कोण बनाती है I इन दुर्गम स्थितियों में किले का निर्माण करना अपने आप में एक अद्भुत कार्य था I किंतु सुरक्षा के दृष्टिगत यह कार्य पूरा किया गया किले की महत्ता इस बात से पता चलती है कि प्राकृतिक रूप से यहां चढ़ने के लिए कोई साधन नहीं था I
ऐतिहासिक साक्ष्यों की बात करें तो हिस्ट्री ऑफ़ पंजाब स्टेट किताब में किले का विवरण मिलता है जिसमें से 6 महत्वपूर्ण हिस्से में बांटा गया है I यह किला 360 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है I जिसके सूरजपुर,बारूद खाना,चौबारा, अंधेर गली,बारादरी, पांचतीर्थी, कोट किला और अमररीढ़ा महत्वपूर्ण स्थल थे I किले के निर्माण के लिए जिस सामग्री का उपयोग किया गया उसमें पत्थर विशेष रहे जिन पत्थरों का उपयोग निर्माण में किया गया वह व्यास नदी और सोन खड्ड दूसरे तट पर पाए जाते हैं I जो किले से लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूरी पर है I पत्थरों को यहां पहुंचाना और ऊपर ले जाना सबसे कठिन कार्य रहा होगा I
कमला गढ़ की आंतरिक विशेषताओं की बात करें तो किले में प्रवेश के लिए कोई रास्ता नहीं था I अगर कहीं चढ़ने की गुंजाइश मात्र थी तो वहां पर प्रवेश चौकी बनाई गई थी जिसे प्रौल कहा जाता था I उसके बाद किले का पहला प्रवेश द्वार था जहां तक जंजीरों और रस्सियों के सहारे चढ़ा जा सकता था उसके बाद दूसरा प्रवेश द्वार था I किले के अंदर सिपाहियों के लिए खाद्य भंडारण की व्यवस्था थी किले की अन्य विशेषताएं इस की तलाइयां थी किले में पानी की आवश्यकता इन्हीं से पूरी होती थी जो संख्या में 8 से 10 हैं I इतनी ऊंचाई पर चट्टानों पर 12 महीने पानी होना चमत्कार से कम नहीं लगता I जहां अनाज भंडारण एवं पानी की व्यवस्था थी वहीं पर अन्न पीसने की चक्की वर्तमान में यहां देखी जा सकती है I आपात स्थिति के दौरान निपटने के लिए यहां गुप्त गुफा भी मिलती है जिसे रानी की गुफा कहा जाता है I यह गुफा चट्टान को काटकर बनाई गई है जो एक गोल कमरे के समान प्रतीत होती है I
सामरिक दृष्टि से यह किला महत्वपूर्ण स्थान रखता था जिसकी प्राकृतिक विशेषताओं के कारण ही इसे अभेद्य किला भी कहा जाता था I यह किला जहां एक और कांगड़ा रियासत वहीं दूसरी तरफ हमीरपुर रियासत के सामने दीवार के समान अधिक खड़ा था I इसे विजय करने की अनेक प्रयास किए गए I किंतु दुर्गम और कठिन प्रकृति से इसे जीत पाना अत्यंत कठिन कार्य था मगर कहते हैं I मात्र एक बार सेंड जनरल वेंचुरा जो सिख सेना का जनरल था इसे जीत पाने में सफल हो पाया था I मगर जल्दी ही सिखों पर अंग्रेजों की विजय के पश्चात यह किला दोबारा मंडी रियासत के अधीन आ गया था I
स्वतंत्रता प्राप्ति तक यह किला मंडी रियासत के अधीन रहा हिमाचल प्रदेश बनने के पश्चात इसकी देखरेख पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया I जिस कारण किले की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गई I यहां रखा गया सैनिक साजो सामान मंडी दरबार घर भिजवा दिया गया I जबकि कुछ सामान के लिए मैं ही मौजूद है I 80 के दशक में किले को भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के अधीन किया गया I जिसके बाद इसकी देखरेख के लिए यहां विभाग द्वारा अधिकारी नियुक्त किए जाते रहे हैं I कुछ समय पहले तक यहां खुले में तो वह तलवारें, जंजीरें , बरछियां देखी जा सकती थी I यहां की सबसे बड़ी तोप जिसे खड़क बिजली कहा जाता है अभी भी किले में ही है I जिसे साल में एक बार राजा के जन्मदिन के अवसर पर चलाया जाता था I जिसकी गूंज दूर दूर सुनी जा सकती थी I
एक और कमलाह गढ़ जहां ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है वहीं इसका धार्मिक पक्ष भी है I मान्यता है कि इस जगह को जम्मू के डूग्गर क्षेत्र से आए बाबा ने अपना स्थान बनाया था I क्षेत्र में बाबा कमलाहिया को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है I बाबा कमलाहिया का मंदिर जो की पहाड़ी की चोटी पर है आसपास के सभी क्षेत्रों से नजर आता है वर्षभर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है I वर्तमान में यहां पहुंचने के लिए किले के द्वार तक सड़क मार्ग बना है I यहां से 1000 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है मगर पुराने समय में जब लोग दर्शन करने आते थे तो अधिकतर चंबा नौण नामक स्थान पर रात्रि ठहराव करते थे I जबकि कुछ किले की अंदर रुकते थे I अगली सुबह दर्शन करके घर लौट जाया करते थे I मगर वर्तमान में यह प्रथा बदल सी गई है और लोग दिन दिन में ही दर्शन कर लौट जाया करते हैं I
क्षेत्र में लोगों की श्रद्धा का केंद्र होने के कारण जहां यह स्थान काफी प्रसिद्ध है किंतु ऐतिहासिक दृष्टि से इसके रखरखाव पर बहुत ही कम ध्यान दिया गया है I वर्तमान में बाबा कमलाहिया जी का भव्य मंदिर निर्माण का कार्य जारी है I वहीं दूसरी ओर किले की स्थिति दिन प्रतिदिन जर्जर होती जा रही है I बाहर से आया हुआ कोई भी व्यक्ति किले के निर्माण और भौगोलिक परिस्थिति को देखकर हैरान रह जाते हैं इसमें कोई शंका नहीं है I किंतु सरकार और विभाग अभी तक इस स्थान के इतिहासिक महत्व किले की दुर्गमता प्राकृतिक सुंदरता यह धार्मिक पर्यटन को जोड़ने में सफल नहीं हो पाए हैं I
वैसे भी प्रदेश में भ्रमण करने वाले लोग या बाहर से आने वाले पर्यटक हिमाचल में यहां की प्राकृतिक सुंदरता खान-पान रहन-सहन एवं स्थानीय विशेषताओं के कारण खींचे चले आते हैं आधुनिकता की दौड़ में उपयुक्त होने वाली चीजें तो कहीं भी कभी भी उपलब्ध हो जाती हैं I इस ऐतिहासिक किले का रखरखाव एवं लोगों में ऐतिहासिक चीजों के प्रति जागरूकता होना अति आवश्यक है अन्यथा इस प्रकार की चीजें हमें कहानियों में ही सुनने को मिलेंगी I
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