इतिहास कमलाह फोर्ट (History of Kamlahgarh Fort)

By | November 7, 2016

इतिहास कमलाह फोर्ट (History of Kamlahgarh Fort): जिला मंडी के धर्मपुर उपमण्डल में स्थित कमलाह गढ़ रियासत का सबसे मजबूत अजय गढ़ है।  यह किला मंडी से 101 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  किले की ऊंचाई लगभग 4500 फुट है तथा किले के ऊपरी भाग में कमलाहिया बाबा का मंदिर है।

मंडी रियासत के राजा हरी सेन जिनका शासन काल 1605 ई से शुरू हुआ, ने सुरक्षा की दृष्टि से कमलाह गढ़ किले का निर्माण कार्य शुरू करवाया।  परन्तु वह अपने जीवन काल में कार्य पूरा नहीं करवा सके।  उनके बाद पुत्र सूर्यसेन ने 1625 ई में अपने पिता के अधूरे काम को पूर्ण किया।  राजा सूर्य सेन तथा ईश्वरी सेन के राज्य काल तक कमलाह गढ़ में सम्पति का भंड़ार रहा।  सूर्य सेन के बाद उनके भाई शयम सेन मंडी शासक बनाया गया।  शयम सेन के बाद गुर सेन, ईश्वरी सेन, सिद्ध सेन, जोगेन्द्र सेन मंडी के राजा रहे।  राजा ईश्वरी सेन के शासन काल के दौरान (1726 -1788 ई) कांगड़ा के राजा संसार चंद ने कमलाह गढ़ के ही सेनापति मुरली मनकू के साथ मिलकर किले को जितने का षड्यंत्र रचा परन्तु वह सफल नहीं हो पाया।  राजा ने मुरली व् मंकी के सर कटवा दिए।

Suggested Reading: Chronology of Himachal Pradesh

ईश्वरी सेन के बाद जालिम सेन मंडी के राजा बने।  बलबीर सेन जो राजा जालिम सेन का पुत्र था, को मंडी का राजा बनाया गया।  इसके बाद राजा खड़क सेन के पुत्र राज कुमार नौ निहाल सिख सेना को साथ लेकर मंडी व् कमलाह गढ़ पर आक्रमण किया, लेकिन वह कमलाह गढ़ पर कब्ज़ा नहीं कर सके।  1840 में राजा नौ निहाल सिंह ने जनरल वेंचुरा जो फ़्रांस का रहने वाला था, को विशाल सेना सहित कमलाह गढ़ पर कब्ज़ा करने के लिए भेजा।  जनरल वेंचुरा ने सेना सहित मंडी से सात मिल की दूरी पर राजा बलबीर सेन को रास्ते में बंदी बनाकर अमृतसर के गोबिंदगढ़ में नजरबंद कर दिया गया।  जनरल वेंचुरा कमलाह गढ़ को जीत नहीं पाया।  5 नवम्बर 1840 ई को नौ निहाल सिंह की मृत्यु हो गयी और जनरल वेंचुरा अपनी सेना सहित कुल्लू चला गया।

अंत में सिखों ने बड़ी कठिनाई से कमलाह गढ़ पर विजयी पायी। 1841 में शेर सिंह लाहौर के राजा बनते ही उसने मंडी के राजा बलबीर सेन को आजाद करने का आदेश दिया। 1845 में राजा बलबीर सेन ने अंग्रेजों के सहायता से कमलाह गढ़ को मुक्त करा लिया। कुछ समय के बाद राजा मंगल सिंह ने कमलाह पर आकर्मण करके कमलाह के कुछ गाँव जला दिए। 9 मार्च 1846 ई को एक संधि के अनुसार यह किला ब्रिटिश सरकार के अधीन मंडी रियासत का गौरव बना।  

Liked the article? We’re a non-profit website. Make a donation and help us build our work.

2 thoughts on “इतिहास कमलाह फोर्ट (History of Kamlahgarh Fort)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

The maximum upload file size: 2 MB. You can upload: image. Links to YouTube, Facebook, Twitter and other services inserted in the comment text will be automatically embedded. Drop file here