मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव

By | March 14, 2020

वैसे तो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को  मासिक शिवरात्रि कहा जाता है , परंतु फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, जिसे बड़े हर्षोंल्लास से मनाया जाता है।  कहते हैं कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चंद्रमा सूर्य के नजदीक होता है। उसी समय जीवनरूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग मिलन होता है। सूर्य देव इस समय पूर्णतः उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यंत शुभ कहा जाता है।

हिमाचल की काशी यानी मंडी में 7 दिनों तक चलने वाले शिवरात्रि के त्योहार में 200 से अधिक देवी-देवता दूर-दूर से आकर पड्डल मैदान में एकत्रित होते हैं। महाशिवरात्रि के इस मेले को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया है।  मंडी को ‘वाराणसी ऑफ हिल्स’ या छोटी काशी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पुरातन काल में बनारस मे केवल 80 मंदिर थे जबकि मंडी में 81 मंदिर थे। मंडी को हिमाचल की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि का प्रमुख आकर्षण मेले के दौरान निकलने वाली शोभा यात्रा होती है जिसे माधोराव की जलेब कहते हैं।

इस मेले के प्रारंभ के विषय में अनेक मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार मंडी के राजा शिवमान सिंह की मृत्यु के समय उसका बेटा ईश्वरी सेन केवल पांच वर्ष का था।  सन 1788 में 5 वर्ष की आयु में ही ईश्वरी सेन को मंडी राज्य का राजा नियुक्त कर दिया गया। कांगड़ा के राजा संसार चंद ने इस बात का फायदा उठाया और मंडी पर आक्रमण कर दिया और ईश्वरी सेन को कांगड़ा ले गया। वहां 12 वर्ष तक नादौन में बंदी बनाकर रखा। सन् 1806 में गोरखों ने ईश्वरी सेन को आजाद करवाया। कहा जाता है कि राजा ईश्वरी सेन शिवरात्रि के कुछ दिन पहले ही लंबी कैद से मुक्त होकर मंडी वापस लौटे थे। इसी खुशी में ग्रामीण भी अपने देवताओं को राजा से मिलाने के लिए मंडी नगर की ओर चल पड़े। राजा व प्रजा ने मिलकर यह जश्न मेले के रूप में मनाया। महाशिवरात्रि का पर्व भी इन्हीं दिनों था तथा इस तरह से शिवरात्रि पर हर वर्ष मेले की परंपरा शुरू हो गई। यह भी कहा जाता है कि मंडी के पहले राजा बाणसेन शिव भक्त थे, जिन्होंने अपने समय में शिव महोत्सव मनाया। राजा अजबर सेन ने 1527 में मंडी कस्बे की स्थापना की और भूतनाथ में विशालकाय मंदिर निर्माण के साथ-साथ शिवोत्सव मनाया। राजा अजबर सेन के समय यह उत्सव एक या दो दिन ही मनाया जाता था। परंतु राजा सूरज सेन (1664-1679) के समय इस उत्सव को नया आयाम मिला।

ऐसा माना जाता है कि राजा सूरज सेन के 18 पुत्र थे जो उसके जीवनकाल में ही मर गए। उत्तराधिकारी के रूप में राजा ने एक सुनार ‘भीमा’ से एक चांदी की प्रतिमा बनवाई जिसे माधोराय नाम दिया गया। राजा ने अपना साम्राज्य माधोराय को दे दिया। इसके बाद शिवरात्रि में माधोराय ही शोभा यात्रा का नेतृत्व करने लगे। राज्य के समस्त देव शिवरात्रि में आकर पहले माधोराय व फिर राजा को हाजिरी देने लगे। मंडी शिवरात्रि में शैव मत का प्रतिनिधित्व जहां शहर के अधिष्ठदाता बाबा भूतनाथ करते हैं, तो वैष्णव का प्रतिनिधित्व राज देवता माधोराय और लोक देवताओं की अगुआई बड़ादेव कमरूनाग करते हैं।

शिवरात्रि बोधोत्सव है, एक ऐसा महोत्सव है, जिसमें अपना बोध होता है कि हम भी भगवान शिव का अंश हैं, उनके संरक्षण में हैं। माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में अवतरण हुआ था। इस दिन भगवान शंकर की शादी भी हुई थी। इसलिए रात में शंकर भगवान की बारात निकाली जाती है।

हिमाचल प्रदेश के मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव इस बार अलग रंग में नजर आया। वर्ष 2020 में हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व का 50वां वर्ष है। 25 जनवरी 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल करने से अब तक पांच दशकों की यात्रा सही मायनों में हिमाचल प्रदेश के ‘सामान्य से सर्वमान्य’ हो जाने का सफर है। प्रदेशवासियों की अथक मेहनत के बल से आज हिमाचल सबके लिए समाग्र व समावेशी विकास की उम्दा मिसाल बन गया है। वर्तमान में नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में हिमाचल पूरे देश में एक अग्रणी राज्य है। यह पूरे प्रदेशवासियों की भागीदारी की उपलब्धि है। इस बार के मंडी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का मूल विषय भी हिमाचल के पांच दशकों की स्वर्णिम यात्रा पर केंद्रित था ।

हाल ही में 25 जनवरी 2020 को प्रदेश ने अपना 50 राज्यत्व दिवस मनाया है, मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी ने 50 वां पूर्ण राज्यत्व दिवस के अवसर पर बिलासपुर जिले के झंडूता में हुए राज्य स्तरीय समारोह में स्वर्ण जयंती पट्टिका का अनावरण भी किया था। 22 से 28 फरवरी 2020 तक बनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हिमाचल की 50 वर्षों की सभी क्षेत्रों की अभूतपूर्व विकास यात्रा को दर्शाया गया |

इस बार की शिवरात्रि स्मारिका को भी ज्यादा रोचक, ज्ञानवर्धक और संग्रहण बनाया गया जिसमें हिमाचल की पांच दशकों की विकास यात्रा से संबंधित रोचक जानकारियां दी गई है और विकास यात्रा में मंडी की भूमिका को दर्शाती चित्र संकलित किए गए |

राजदेवता मोधाराय को भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है और शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत, 1527 में राजा अजबर सेन द्वारा बनवाए गए भूतनाथ शिव मंदिर में पूजा-अर्चना से होती है। हिमाचली संस्कृति को देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल की है।

जिला प्रशासन के प्रयासों से सांस्कृतिक संध्या का लाइव प्रसारण देश-विदेश में बैठे लोग यूट्यूब के माध्यम से देख पाते हैं | हिमाचली   संस्कृति को और आगे बढ़ाने के लिए हमें यह चाहिए  कि हम पार्श्व गायकों के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों को भी सांस्कृतिक संध्या में एक स्टार के रूप में प्रोत्साहित करें।

सैकड़ों की संख्या में देवी-देवताओं के रथ व उनके साथ आए देव सेवकों का आपसी मिलन ढोल नगाड़ों , रणसिघों की गूंज की आवाजों से आठ दिनों तक थिरकने वाली मंडी का यह पर्व देव संगम का आभास करवाता है | मेले में जहां एक तरफ पड्डल मैदान में देवी-देवता आपस में मिलते हैं, वहीं पड्डल मैदान के दूसरे छोर पर व्यापारिक दृष्टि से लगाई गई दुकानों पर व्यापार होता है जिनमें हिमाचली संस्कृति को दर्शाते हुए कुल्लू शॉल, हिमाचल टोपी इत्यादि बेचे जाते हैं जो हमारी संस्कृति को देश-विदेश से आए पर्यटकों तक पहुंचाते हैं। हर हिमाचली को अपने प्रदेश की संस्कृति को आगे बढ़ाने और नई बुलदियों तक ले जाने में अपना योगदान देना चाहिए ।

लेखक- प्रत्यूष शर्मा,

सहायक प्रबंधक, इंडियन ओवरसीज बैंक

ईमेल- [email protected]

Read other Editorials: Click here

Stay updated with us:

Click here to join our Telegram Channel

Click here to Join our Facebook Group

One thought on “मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव

  1. Vijay Kumar

    salute Sir,

    aap allied GS paper k question bhi editorial m post kijiye pls …

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

The maximum upload file size: 2 MB. You can upload: image. Links to YouTube, Facebook, Twitter and other services inserted in the comment text will be automatically embedded. Drop file here