चम्बा आंदोलन (Chamba Agitation):
चम्बा में ‘कर’ के खिलाफ व ‘बेगार’ की समाप्ति के लिए 1896 में ‘भटियात वज़ीरात’ (Bhattiyat Wazirat) दल बना कर संघर्ष शुरू किया गया । हालाँकि सरकार ने इसे दबाव बनाकर कुचल दिया ।लम्बे अरसे तक लोग चुप रहे लेकिन अंत में 1922 में लोगों ने अपनी चुपी तोड़ी और जो राज्य के लोग लाहौर में काम कर रहे थे उन्होंने राजा से आग्रह किया कि वो एक ‘प्रतिनिधि सलाहकार कौंसिल’ बनाये । कालांतर में 1932 में ‘चम्बा पीपल्स डिफेन्स‘ (Chamba Peoples Defence) लीग की स्थापना की गयी, इसका मुख्यालय लाहौर में रखा गया ।
सामाजिक सेवा के लिए 1936 में ‘चम्बा सेवक संघ‘ (Chamba Sevak Sangh) की स्थापना की गयी । इस संघ को राज्य का संरक्षण मिला तथा राज्य के कुछ कर्मचारी इस संघ का हिस्सा बने । कुछ समय पश्चात इस संघ ने लोगों द्वारा किये गए आंदोलन का नेतृत्व किया तथा बेगार प्रथा का विरोध किया । इसका नतीजा यह हुआ की संघ पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया और संघ ने अपना मुख्यालय डलोहजी में स्थानांतरित कर दिया ।
चम्बा में हो रहे आंदोलन की ख़बरें समाचार पत्रों जैसे ‘केसरी’, ‘इंकलाब’, ‘ग़दर’, ‘ट्रिब्यून’ के माध्यम से प्रकाशित होने लगी । यह खबरें राष्ट्रीय नेताओं के कानों तक पहुँच चुकी थी ! 1947 में ‘चम्बा स्टेट पीपल्स फेडरेशन‘ (Chamba State Peoples Federation) की स्थापना की गयी और अंत में चम्बा का विलय 15 अप्रैल 1948 में भारतीय संघ में कर दिया गया तथा चम्बा हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बन गया ।
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