लेखक:
श्री प्रणव घाबरू (वकील-दिल्ली उच्च न्यायलय)
श्री अनुराग गर्ग (सहायक आयुक्त, स्टेट टैक्स हि0 प्र0)
कोविड -19 के कारण उत्पन्न वर्तमान आर्थिक संकट 2008 के आर्थिक संकट से अधिक गंभीर है, इसमें अब कोई संशय नहीं रह गया है। अभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ 14 अप्रैल को समाप्त होने के बाद लॉकडाउन को और अधिक अवधि तक जारी रखने की वकालत कर रहे हैं, जबकी इसके आर्थिक पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के बीच उचित संतुलन सुनिश्चित करना ही वर्तमान की आवश्यकता है।
हमारी 85 प्रतिशत से अधिक आर्थिक गतिविधियाँ असंगठित क्षेत्र से सम्बंधित हैं जिनमें अर्ध-कुशल कारीगर, दिहाड़ीदार आदि शामिल हैं जो हमारे समाज का सबसे कमजोर वर्ग है। जहाँ तक हिमाचल प्रदेश का सवाल है, देश के अन्य हिस्सों की तुलना में यहाँ कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन इसे हलके में नहीं लिया जाना चाहिए। हर राज्य के पास सीमित संसाधन हैं और इसलिए अर्थव्यवस्था को बहाल करने के लिए जरूरी राज्य-विशेष उपायों की आवश्यकता है। लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य अपनी भावी रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं।
देश के बाकी हिस्सों की तुलना में हिमाचल प्रदेश में औसत जनसंख्या घनत्व कम है, इससे यहाँ सामाजिक दूरी जैसे उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद मिली है, लेकिन इसे एक सीमित अवधि तक ही लागू किया जा सकता है क्योंकि अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन जैसे उपायों से अधिक देर तक बंद रखना उचित नहीं है। अब, राज्यों और केंद्र के बीच आम सहमति है कि लॉकडाउन में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जाएगी।
Read this Editorial in English: Click Here
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था मूल रूप से एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था है जहां 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार भरसक प्रयास कर रही है । हमारे पास एक मजबूत खाद्य वितरण प्रणाली है और प्रदेश की लगभग पूरी आबादी इसके अंतर्गत आती है। हिमाचल प्रदेश लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए निम्नलिखित चरणबद्ध तरीके को अपना सकता है।
पहले चरण में, एक सीरोलॉजिकल परीक्षण का सहारा लिया जा सकता है क्योंकि यह तेज़ और एक प्रभावी उपाय है जिससे यह पता लगाया सकता है कि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस के संपर्क में आया है या नहीं। हॉटस्पॉट क्षेत्रों की पहचान करने के लिए डेटा को एकत्र किया जा सकता है और इसके तदनुसार एक प्रभावी रणनीति तैयार की जा सकती है।
पहले चरण में किसी भी परिवहन या आवाजाही की अनुमति नहीं होगी, लेकिन आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आमजनता तक आपूर्ति को सुनिश्चित किया जाएगा। परिवहनतंत्र अर्थव्यवस्था की धमनियां और नसें हैं और आपूर्ति श्रृंखला की सुदृढ़ता के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इस क्षेत्र की जरूरतों सहित ड्राइवरों, सामान्य सेवाओं की बहाली संभव हो सके।
दिहाड़ी मजदूरों और हाशिय पर रहने वाले लोगों के लिए, सार्वभौमिक आय योजना की परिकल्पना की जानी चाहिए, क्योंकि अन्य खर्चों के अलावा, स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च भारत में सबसे अधिक है। इसलिए इन तक आवश्यक वस्तुओं, दवाओं, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का वास्तविक लाभ सुनिश्चित करने के लिए एक सार्वभौमिक आय योजना को सुनिश्चित करना वर्तमान की प्राथमिक आवश्यकता है।
सरकार को खाद्य वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्नों को बढ़ाना चाहिए। मास्क पहनने और हाथ धोने के बारे में पंचायत स्तर पर उचित जागरूकता फ़ैलाने की आवश्यकता है। आवश्यक वस्तुओं तक आमजनता की पहुँच को सुनिश्चित करने और सामाजिक दूरी जैसे उपयोगी उपायों के प्रभावी कार्यन्वयन के लिए सरकार द्वारा एक परिवार से केवल एक व्यक्ति को निश्चित समय में बाहर निकने की अनुमति दी गयी है।
इस वैश्विक महामारी द्वारा उत्पन्न एक और गंभीर समस्या है, मजदूरों की कमी। नगण्य सामाजिक सुरक्षा और एक सुनिश्चित आय के बिना , अधिकांश श्रमिकों को उनके कार्य स्थान से स्थानांतरित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राज्य सरकार को पर्याप्त श्रम की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए क्योंकि सेब तुड़ाई का मौसम आ गया है और इस परिदृश्य में, यदि कोई श्रम उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो आर्थिक संकट और अधिक बढ़ सकता है क्योंकि प्रदेश में बहुत लोगों की आय का एकमात्र स्रोत सेब से है। सेब हिमाचल प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण फल है, जो कि कुल फल क्षेत्र का लगभग 49 प्रतिशत और कुल फल उत्पादन का लगभग 74 प्रतिशत है। एपीएमसी जैसे निकायों को अधिक सुचारु और आसान बनाया जाना चाहिए ताकि किसानों का बिचौलियों आदि द्वारा इस समय शोषण न किया जाए जब कोरोना संकट राज्य पर मंडरा रहा है।
दूसरे चरण में, आजीविका पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, इसमें मनरेगा के काम पर ध्यान केंद्रित करना, छूट और सब्सिडी, प्रभावित क्षेत्रों को वित्तीय प्रोत्साहन देकर, एमएसएमई क्षेत्रों को अनुदान आदि उपाय किये जा सकते हैं। एमएसएमई क्षेत्रों में ऋण ब्याज में राहत और अनुदान देकर संकट ग्रसित उद्योगों को उबरना चाहिए। कारखाना अधिनियम के अंतर्गत आने वाले कारखानों की निगरानी कर वहाँ सामाजिक दुरी, स्वच्छता एवं अन्य जागरूकता कार्यक्रम प्रयोग में लाये जा सकते हैं।
राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जब तक कोरोना संकट कम नहीं हो जाता है तब तक केवल केंद्रीय अनुदान पर आश्रित न रह कर अपने दम पर राजस्व उत्पन्न करने की क्षमता विकसित करने के लिए प्रयासरत रहे।
शराब बिक्री को खोलना इस दिशा में उठाया गया एक सही कदम हो सकता है, क्योंकि अतीत में यह अनुभव किया गया है कि संकट के समय में शराब के क्षेत्र में काला बाजार फलता-फूलता है, जिससे राज्य के राजस्व को सीधा नुकसान पहुँचता है। इसके अलावा, पेट्रोलियम उत्पादों ,दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं को दूर-दराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों तक उपलब्ध करवाना चाहिए जिससे लोगों को शहरों की यात्रा न करनी पड़े जो अक्सर गावों से काफी दूरी पर स्थित होते हैं । वास्तव में इन आवश्यक वस्तुओं को विनियमित किया जाना चाहिए और इनकी आपूर्ति के लिए एक जिम्मेदार और सशक्त सप्लाई चैन का निर्माण किया जाना चाहिए। परिस्थितियों के मद्देनज़र दूसरे चरण में, स्थानीय स्तर पर परिवहन को विनियमित तरीके से शुरू किया जा सकता है।
तीसरे चरण में, स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को विनियमित तरीके से खोला जा सकता है। अंतरराज्यीय परिवहन को एक उचित प्रतिबंधात्मक तरीके से शुरू किया जा सकता है। गैर-संक्रामक क्षेत्र के रूप में घोषित क्षेत्र के लोगों के लिए लॉकडाउन को समाप्त किया जा सकता है। हालांकि, ये कदम तभी संभव है जब मौजूदा परिस्तिथियों में प्रत्यक्ष सुधार होता नज़र आये।
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर श्री रघुराम राजन के शब्दों में कहें तो – भारत पर जब-जब संकट आया है, तब-तब भारत और भी मजबूत बन कर उभरा है। इस संकट को हमें स्थानीय व्यापार को सुदृढ़ बनाने, विनिर्माण और वितरण को बढ़ावा देने और सामाजिक सुरक्षा सेवाओं के कार्यान्वयन जैसे लंबे समय से प्रतीक्षित सुधारों को लाने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। इस महामारी से हमें लोक केंद्रित आर्थिक नीतियां बनाने और हाशिये पर धकेले गए लोगों के जीवन स्तर में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता की प्रेरणा लेनी चाहिए। वसुधैव कटुम्ब्कम की सीख याद रखते हुए,हम सबको मिल कर कोरोना को हारने के लिए प्रयासरत होना चाहिए।
Stay updated with us: