हाल ही में वायरल हो रही चण्डीगढ़ के एक नामी गिरामी संस्थान की यह वीडियो देखिए, जिसमें पटवारी के पेपर के एक दिन पहले ही लीक होने के बारे में जानकारी दी जा रही है। इस वीडियो में यह दावा किया जा रहा है कि पटवारी का पेपर जो कि 17 नवम्बर को हुआ, वह 16 नवंबर को ही लीक हो गया था और कई चैनल्स ने इसे 16 नवंबर को ही यूट्यूब पर डाल दिया था।
https://www.youtube.com/watch?v=JJJc1fmJFzI
आप देख सकते हैं कि भावनाओं में बहते हुए जनाब केवल एकतरफा तर्क रखते हैं और बार-बार सबूत देने की माँग करते हैं। क्यूँकि भाईसाहब हिमाचल को भारत के एक अभिन्न हिस्से होने पर ही सवाल खड़ा करते हैं, इसी बात के मद्देनज़र हमारी टीम ने गहराई से मामले की पड़ताल करने की ठानी ताकि सच को सामने लाया जा सके।
हाल ही में हुई पटवारी परीक्षा के प्रति पहले से ही परीक्षार्थियों में बहुत रोष है क्यूँकि इस पेपर में जे बी टी के प्रश्नपत्र से सीधे सीधे प्रश्न उठा कर डाल दिए गए थे। उसके बाद इस बात को कहना की परीक्षा पत्र एक दिन पहले से ही यूट्यूब पर डाला जा चुका था मेहनती परीक्षार्थियों के मनोबल को तोड़ने जैसा है।
हमारी टीम ने जब हकीकत जानने के लिए पड़ताल की तो सबसे पहले HP Studies YouTuber शम्मी जी से संपर्क किया जिनके चैनल के स्क्रीशॉट्स भाईसाहब अपनी वीडियो में दिखा रहे हैं।
शम्मी जी से बात करने पर पता चला की उनहोंने खुद पटवारी की परीक्षा दी और परीक्षा देने के तुरंत बाद अपने ही प्रश्नपत्र को हल करते हुए यह वीडियो 17 नवंबर को दोपहर के 1 बजे अपने यूट्यूब चैनल पर डाली। लेकिन सवाल अब यह उठता है कि यदि वीडियो 17 नवंबर को डाली गयी तो यूट्यूब उसपर 16 नवंबर की तारीख क्यों दिखा रहा है।
कुछ अनुभवी इंजीनियरों से संपर्क करने पर पता चला कि यूट्यूब पर कई बार वीडियो पब्लिश होने कि तारीख पैसिफिक टाइम ज़ोन (Pacific Time Zone = Universal Time Coordinated – 8 hours) के हिसाब से दिखती है जी कि भारत के टाइम ज़ोन से साढ़े तेरह घण्टे पीछे चलता है। इसका मतलब यह हुआ कि यदि वीडियो को 17 नवंबर को दोपहर 1 बजे पब्लिश किया गया तो कुछ तकनीकी खामी कि वजह से यूट्यूब ने उसे अपने टाइम ज़ोन के हिसाब से जो कि साढ़े तेरह घण्टे पीछे है, वीडियो को 16 नवंबर की तारीख के साथ पब्लिश कर दिया। इस बात की पुष्टि शम्मी जी ने अपने यूट्यूब चैनल के इनसाइट्स के दिए गए स्क्रीन शॉट से भी की है।
क्यूँकि सबूत पुख्ता चाहिए था तो एक बार फिर टेक्निकल टीम से मदद ली गयी और इस बार यूट्यूब डाटा व्यूअर की मदद से वीडियो के बारे में जानकारी जुटाई गयी। यूट्यूब डाटा व्यूअर पर साफ़-साफ पता चल गया कि वीडियो 17 नवंबर को लन्दन के समय के अनुसार सुबह साढ़े सात बजे अपलोड किया गया जिसका स्क्रीनशॉट दिया गया है।
लंदन के समय को भारत के समय में बदलें तो यह सामने आया कि वीडियो 17 नवंबर को दोपहर 1 बजे अपलोड किया गया है। इससे इस बात का पुख्ता सबूत मिल गया कि पेपर लीक होने वाली बात एक अफवाह है और सस्ती लोकप्रियता पाने का एक साधन मात्र है।
गौरतलब है कि कुछ समाचार पत्रों और नामी गिरामी यूट्यूब चैनलों ने बिना कोई जाँच-पड़ताल किए इसे एक मुद्दा बनाने कि कोशिश की है जो कि नैतिक मूल्यों और क़ानूनी रूप से तो गलत है ही साथ ही साथ इससे लगन और मेहनत से परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए छात्रों के विश्वास पर भी चोट पहुँची है।
तथाकथित टेक्नोलॉजी के ज्ञाता और जोशीले पत्रकार मित्र अगर थोड़ी सी मेहनत जाँच पड़ताल में करते तो बड़ी आसानी से दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सकता था। इस पूरे प्रकरण में ईमानदारी और मेहनत से काम करने वाले शम्मी जी को जिस मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ रहा है उसकी भरपाई करना तो नामुमकिन है ही लेकिन अगर इन नामी गिरामी लोगों में अब भी थोड़ी शर्म और आत्मसम्मान बाकी है तो जिस बेबाकी से किसी पे लांछन लगाया है उसी बेबाकी का असली परिचय देते हुए सार्वजानिक माफ़ी भी माँगें।
कितना आसाँ है, होना मशहूर इस ज़माने में
किसी बेकसूर का, निकाल दो कसूर इस ज़माने में