हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नीति व लक्ष्य, राज्य में उद्योग क्षेत्र का विकास एवं संभावनाएं

By | October 12, 2019

Topic Covered: SYLLABUS for HPAS MAINS: Employment generation and potential, Scope of future Industrialization. 

राज्य सरकार राज्य में उद्योगों के विकास पर दृढ़ संकल्प दिखती है। धर्मशाला में प्रस्तावित इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार पहले से ही निवेशकों के लिए जमीन तैयार कर रही है। हिमाचल में सभी सरकारों का प्रयास निवेशकों को आकर्षित करने व राज्य को एक विकसित औद्योगिक राज्य बनाने का रहा है। लेकिन हिमाचल की मुश्किल भौगोलिक स्थिति एवं पर्यावरणीय संवेदनशीलता के कारण राज्य में उद्योगों का अधिक विकास नहीं हो सका है। यही कारण है कि वर्तमान में हिमाचल में केवल 140 बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं।

राज्य में औद्योगिक निवेश व उद्योग विस्तार के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2013 में नई औद्योगिक नीति अपनाई गई थी।इसका मुख्य लक्ष्य हिमाचल प्रदेश को एक आदर्श औद्योगिक राज्य बनना है। इसके माध्यम से सरकार द्वारा राज्य में धारणीय व समावेशी विकास एवं पर्यावरण पहलुओं को केंद्र में रखकर राज्य की आय बढ़ाने व राज्य में नए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने पर बल दिया गया है।इसके प्रमुख लक्ष्यों में पर्यावरण मानकों को केंद्र में रखते हुए धारणिया औद्योगिक विकास हासिल करने पर बल दिया गया है।उद्योग क्षेत्र में 15% की वार्षिक वृद्धि दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

2022 तक विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 25% तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।सिंगल विंडो क्लीयरेंस के माध्यम से उद्योग क्षेत्र के लिए व्यापार सुगमता और समयबद्ध सेवाएं उपलब्ध करवाना भी इसमे शामिल है।विनिर्मित उत्पादों के लिए परिवहन की उचित सुविधा उपलब्ध करवाना।अनुसंधान व औद्योगिक अपशिष्ट निवारण के साथ-साथ जल की उपलब्धता व इसके उचित प्रबंधन पर जोर दिया गया है।

राज्य में कौशल विकास को बढ़ावा देकर राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाना भी इसमे शामिल है। लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हो सकी है। सरकार इस दिशा में प्रयासरत है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम नजर आ सकते हैं।

हिमाचल प्रदेश के यदि विकास की बात करें तो हिमाचल प्रदेश देश के सबसे उन्नत सामाजिक-आर्थिक विकास वाले राज्यों में से एक है। हालांकि उद्योग क्षेत्र में हिमाचल बड़े उद्योगों की स्थापना में अधिक तरक्की नहीं कर पाया है लेकिन फिर भी हिमाचल अपने छोटे व मध्यम उद्योगों के माध्यम से औद्योगिक विकास यात्रा को लगातार शिखरों की तरफ ले जा रहा है। वर्ष 1951-52 में जहां हिमाचल में उद्योग क्षेत्र का योगदान सकल राज्य घरेलू उत्पाद का केवल 1% था, वहीं यह वर्ष 2017-18 में बढ़कर 29% हो गया है और वृद्धि दर 6% से उपर है। यह संकेत निश्चित तौर पर सकारात्मक तरक्की के परिचायक हैं।

वर्तमान में राज्य में 522 मध्यम एवं 48 हजार के करीब लघु औद्योगिक इकाइयां हैं। जिसमें सबसे अधिक बड़ी व मद्धयम इकाइयां सोलन जिले में स्थित है। जबकि लघु इकाइयों की अधिकता कांगड़ा जिले में है। राज्य में बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, परवानू एवं सोलन कुछ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें दवा निर्माण व इलेक्ट्रोनिक उपकरण निर्माण आदि बड़े उद्योग शामिल है। इसके अलावा राज्य में सीमेंट उद्योग भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें डार्लाघाट, राजवन, बरमाणा आदि शामिल है।

कुल्लू में शमशी औद्योगिक क्षेत्र है व ऊना के महत्तपूर में शराब उद्योग स्थापित किया गया है। इसके अलावा राज्य में पर्यटन को भी एक उद्योग के रूप में स्वीकृति दी गई है। इससे राज्य में मनाली, शिमला, धर्मशाला और डलहौजी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हुए हैं। इससे एक बात तो साफ नजर आती है कि राज्य में छोटे उद्योगों को स्थापित किए जाने की अपार संभावनाएं हैं।हालांकि इसकी मुश्किल भौगोलिक संरचना के कारण यहां पर बड़े उद्योगों को विकसित करना आसान नहीं है लेकिन कुछ विशेष स्थानों को चिन्हित कर उन क्षेत्रों में बड़े उद्योग को स्थापित करने की संभावना तलाशी जा सकती है। प्राकृतिक उत्पादों पर भी अनुसंधान और विकास की आवश्यकता है।

बड़े उद्योगों की स्थापना काफी हद तक कच्चे माल की उपलब्धता, परिवहन की सुविधा, बाजार तक पहुंच, जल और विद्युत की उपलब्धता, पूँजी निवेश और रोजगार की संभावनाओं पर निर्भर करती है। राज्य में जल और विद्युत की सुविधा के अलावा बाकी सब सुविधाएं सीमित तौर पर विद्यमान है।इस कारण राज्य में बड़े उद्योगों को स्थापित किए जाने की संभावनाएं बहुत हद तक सीमित है। लेकिन राज्य के लगभग सभी जिलों में छोटे व मध्यम उद्योग स्थापित किए जाने की अपार संभावनाएं है।

इसके अलावा राज्य में पर्यटन, मछली उत्पादन, कृषि प्रसंस्करण उद्योग, फल प्रसंस्करण उद्योग, खादी उद्योग, हथकरघा उद्योग, दुग्ध उत्पाद उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है। बहुत सारे सर्वे बताते हैं कि राज्य में खनिज संपदा के अपार भंडार है। इसीलिए खनिज आधारित उद्योगों को विकसित करने पर भी बल दिया जा सकता है। राज्य में प्राकृतिक गैस के पाय जाने की बात भी सामने आई है। इस क्षेत्र में भी उद्योग स्थापित किए जाने की संभावनाएं खोजी जा सकती है।इससे राज्य में रोजगार की संभावनाओं के साथ-साथ राज्य के आय संसाधनों में भी वृद्धि होगी एवम औद्योगिक नीति के तहत रखे गए प्रमुख लक्ष्यों को भी हासिल किया जा सकेगा।

लेखक: लाभ सिंह
निरीक्षक सहकारी सभाएं, कुल्लू।
Email: [email protected]

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